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Sunday, December 1, 2013

चांद को छू लें...



आओ रात में छत पर चढ़कर
मम्मी के जागने से पहले
अपने पंजों पर खड़े होकर
आसमान में चमकते
चांद को छू लें...
टिमटिमाते हुए तारों को
तोड़कर
अपनी जेबों में भर लें
आवाज़ न करे कोई तारा
टूटते वक़्त
इसलिए
उसको पहले समझा देंगे
दिन निकलने से पहले
आसमान में
तुझे फिर से लगा देंगे
ये बात
तारों को बता देंगे...
-सरफ़राज़ ख़ान

2 comments:

  1. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है!

    बहुत सुन्दर कविता है...लिखते रहें...शुभकामनायें...

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  2. बहुत ही मासूम कविता है ......बिलकुल बचपन जैसा....बहुत ही सुन्दर

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