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Thursday, April 23, 2015

मैं परिन्दा बन अम्बर को छू लूं...


मन करता है
मैं परिन्दा बन
अम्बर को छू लूं
तेज़ हवा के संग
उड़ जाऊं
और
किसी फल से भरे-भरे
पेड़ पे बैठकर एक-एक
करके अनेक फल का
मजा चख
उड़ जाऊं ची चूं का शोर
मचाऊं और
परिन्दों को इकट्ठा कर
तोता ढोलक बजाता है
का गीत सूना सब
परिन्दों को पेड़ पर बुला के
मन चाही बातें कर अम्बर की
सैर पर जाएं चलो आओ
हम पंख लहराएं
अम्बर की ओर उड़ जाएं
-सरफ़राज़ ख़ान

4 comments:

  1. बहुत खूब मन करे परिंदा बनकर आसमान छू लू !

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  2. परिंदा बन आसमान छूने की ख्वाहिश पूरी हो शुभकामनायें ..!!

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  3. बहुत सुन्दर कविता है...शुभकामनायें ..!!

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